बेलगाम रीवा एस एससी के कारण बिजली व्यवस्था फेल
विशेष रिपोर्ट,(राजीव द्विवेदी)। सतना- रीवा रेलखंड के सकरिया रेलवे स्टेशन का डेवलपमेंट पश्चिम मध्य रेलवे जोन के महाप्रबंधक शैलेन्द्र कुमार सिंह के इंस्पेक्शन के दौरान भी अफसोस तरीके से नहीं हो पाया जिसके कारण यात्रियों के साथ साथ रेलवे कर्मचारी और उनके परिजनों को परेशानी का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस रेलखंड का यह एकमात्र ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां पर भीषण गर्मी के दौरान प्लेटफार्म पर यात्रियों के सिर छुपाने और बैठने के लिए एक शेड तक नहीं बनाया गया है। पिछले 26 साल का समय बीतने के बाद भी जबलपुर रेल मंडल यहां पर दोनों प्लेटफार्म पर शेड का निर्माण नहीं करवा पाया है। यही वजह है कि गर्मी के मौसम में यात्रियों को रेलवे स्टेशन के पिछले हिस्से में लगे पेड़ों का सहारा धूप से बचने के लिए लेना पड़ता है। इतना ही नहीं पचास किलोमीटर के इस रेलखंड में पर सकरिया रेलवे स्टेशन में आने वाले और यहां से जाने वाले यात्रियों के लिए एक शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण अक्सर यात्रियों और रेलवे में काम करने वालों के लिए दिक्कत होती है। यात्रियों और रेलकर्मियों के बीच गहमा-गहमी के हालात निर्मित हो जाते हैं। कुल मिलाकर सन् 1993 से अभी तक सकरिया रेलवे स्टेशन को विकसित प्लेटफार्म और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं हुई है। रीवा एस एस सी कौशल कुमार की घोर लापरवाही के कारण शाम ढलते ही सकरिया रेलवे स्टेशन के आसपास और दोनों प्लेटफार्म पर रोशनी के समुचित इंतजाम नहीं कराए गए हैं। रात के समय अंधेरा होने के कारण दुर्घटना की आशंका यहां बराबर बनी रहती है। इतना ही नहीं रेलवे आवासों पर भी रोशनी के ठोस इंतजाम नहीं है।
दोनों प्लेटफार्म पर पेयजल सुविधा का नामोनिशान नही
रेलवे के लिहाज से रेलवे स्टेशनों पर पेयजल की सुविधा काफी महत्वपूर्ण और अनिवार्य होती है। लेकिन अफसोस मालभाडा देने के लिए पहचान रखने वाले सकरिया रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ियों के आवागमन के लिए दो प्लेटफार्म जरुर बने हुए हैं पर किसी में भी पेयजल की सुविधा नजर नहीं आती है। जबलपुर रेल मंडल ने एक भी पीने का पानी का नल कनेक्शन प्लेटफार्म पर नहीं है। प्यास से व्याकुल यात्री जब रेलवे स्टेशन प्रबंधक के कक्ष में पानी की तलाश करने पहुंचते हैं तो उन्हें मायूस होकर बैरंग वापस लौटना पड़ता है। गर्मी के मौसम में पेयजल व्यवस्था न होने के कारण मुसाफिरों के साथ साथ अक्सर रेलवे वाले परेशान होते हैं। हैरत की बात यह है कि विगत 26 साल में सकरिया रेलवे स्टेशन पर पेयजल सुविधा नहीं हो पाई है।
*यह कैसे रेलवे आवास, जहां पिछला दरवाजा नहीं*
सतना जंक्शन के सक्षम जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण सकरिया रेलवे स्टेशन केवल नाम के लिए बना हुआ है। यहां पर आवश्यक सुविधाओं का संकट समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। रेल कर्मचारियों और उनके परिजनों के लिए रेलवे स्टेशन के बगल से जो रेलवे आवास बनाए गए हैं उनकी हालत भी भगवान भरोसे बनी हुई है। यहां पर बहुत से ऐसे रेलवे आवास बने हुए हैं जिनमें पिछले हिस्से का दरवाजा नहीं है। आवासों में पिछले हिस्से का दरवाजा न होने के कारण हमेशा रेलकर्मी और उनके परिजनों को खतरा बना रहता है। रात के समय इस वजह से सभी चैन की नींद नहीं सो पाते हैं। कुछ आवासों में चोरी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सतना से लेकर जबलपुर रेल मंडल में बैठे अधिकारियों को सकरिया रेलवे स्टेशन की समस्याएं बखूबी पता जरुर है पर समाधान नहीं किया जाता है। बिजली सप्लाई कट होते ही पूरे रेलवे स्टेशन और कालोनी में अंधेरा कायम हो जाता है। यहां पर इमरजेंसी के लिए उपकरण जरुर रखा हुआ है पर उसे आज तक रीवा एस एस सी कौशल ने शुरू नहीं करवाया है। अंधेरा होने के कारण रेलकर्मियों के परिजनों को सुरक्षा के लिए परेशान होना पड़ता है।